क्या ब्लड टेस्ट के माध्यम से कैंसर का पता चल सकता है?

क्या ब्लड टेस्ट के माध्यम से कैंसर का पता चल सकता है?

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसका जल्द पता लगाना इलाज को आसान बना सकता है। आमतौर पर, कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी, इमेजिंग टेस्ट (जैसे MRI, CT स्कैन), और अन्य डायग्नोस्टिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। लेकिन सवाल यह है – क्या सिर्फ ब्लड टेस्ट के जरिए कैंसर का पता चल सकता है? आइए, इस विषय को विस्तार से समझते हैं।

ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता कैसे चलता है?

कुछ विशेष ब्लड टेस्ट कैंसर की उपस्थिति का संकेत दे सकते हैं, लेकिन ये पूरी तरह से कैंसर की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त नहीं होते। ये टेस्ट कैंसर से जुड़े कुछ बायोमार्कर्स (विशेष प्रकार के प्रोटीन या पदार्थ) का पता लगाते हैं, जो शरीर में असामान्य गतिविधियों को दर्शा सकते हैं।

1. ट्यूमर मार्कर टेस्ट (Tumor Marker Tests)

ये टेस्ट कैंसर कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न कुछ विशेष पदार्थों की पहचान करते हैं। हालांकि, कुछ ट्यूमर मार्कर अन्य बीमारियों में भी बढ़ सकते हैं, इसलिए यह सिर्फ एक प्रारंभिक संकेत देता है, कैंसर की निश्चित पुष्टि नहीं करता। कुछ सामान्य ट्यूमर मार्कर्स –

  • PSA (Prostate-Specific Antigen): प्रोस्टेट कैंसर के लिए
  • CA-125: ओवरी (अंडाशय) कैंसर के लिए
  • CEA (Carcinoembryonic Antigen): कोलन, रेक्टल और कुछ अन्य कैंसर के लिए
  • AFP (Alpha-Fetoprotein): लिवर कैंसर के लिए

2. कम्प्लीट ब्लड काउंट (CBC) टेस्ट

यह टेस्ट ब्लड सेल्स की संख्या को मापता है और ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) जैसी स्थितियों का संकेत दे सकता है। यदि ब्लड में सफेद रक्त कोशिकाएं (WBCs) असामान्य रूप से अधिक या कम हों, तो यह कैंसर का एक संभावित संकेत हो सकता है।

3. लिक्विड बायोप्सी (Liquid Biopsy)

यह एक नई और प्रभावी तकनीक है, जो कैंसर कोशिकाओं या DNA के छोटे टुकड़ों को ब्लड में खोजने का काम करती है। यह टेस्ट विशेष रूप से फेफड़े, स्तन, कोलन और प्रोस्टेट कैंसर के लिए उपयोगी हो सकता है। लिक्विड बायोप्सी नॉन-इनवेसिव होती है, यानी इसमें शरीर में किसी तरह की सर्जरी या टिशू निकालने की जरूरत नहीं होती।

4. जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing)

यदि परिवार में कैंसर का इतिहास हो, तो कुछ जेनेटिक म्यूटेशन की पहचान करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। उदाहरण के लिए,

  • BRCA1 और BRCA2 टेस्ट स्तन और ओवरी कैंसर के लिए
  • TP53 और APC कोलन और अन्य कैंसर के लिए

क्या ब्लड टेस्ट से कैंसर की निश्चित पुष्टि की जा सकती है?

नहीं। ब्लड टेस्ट सिर्फ एक प्रारंभिक संकेत देते हैं, लेकिन कैंसर की पूरी पुष्टि के लिए अन्य इमेजिंग टेस्ट (MRI, CT स्कैन), बायोप्सी, और पैथोलॉजी रिपोर्ट की आवश्यकता होती है।

कैंसर की जांच कब करानी चाहिए?

यदि आपको निम्नलिखित लक्षण लंबे समय तक महसूस हो रहे हैं, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेकर आवश्यक टेस्ट कराने चाहिए –

  • अचानक वजन कम होना
  • अत्यधिक थकान या कमजोरी
  • स्किन पर असामान्य गांठ या सूजन
  • पुरानी खांसी या आवाज में बदलाव
  • बार-बार संक्रमण या बुखार रहना
  • पाचन संबंधी समस्याएं या मल में बदलाव
  • मसूड़ों से बार-बार खून आना या नॉन-स्टॉप ब्लीडिंग

निष्कर्ष: कैंसर के इलाज में जल्दी निदान जरूरी है

ब्लड टेस्ट कैंसर की जांच में एक सहायक उपकरण हो सकता है, लेकिन यह स्वतंत्र रूप से कैंसर की पुष्टि नहीं कर सकता। यदि किसी ब्लड टेस्ट में असामान्य परिणाम आते हैं, तो डॉक्टर अतिरिक्त जांच और बायोप्सी की सलाह देते हैं।

अगर आपको या आपके किसी करीबी को कैंसर से संबंधित कोई चिंता है, तो डॉ. पूजा बब्बर से संपर्क करें। डॉ. बब्बर एक अनुभवी ऑन्कोलॉजिस्ट हैं, जिन्होंने कई मरीजों को कैंसर से लड़ने और स्वस्थ जीवन जीने में मदद की है। सही समय पर सही इलाज से कैंसर को हराया जा सकता है।

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