कैंसर का इलाज एक लंबा और भावनात्मक सफर होता है। जब एक मरीज़ इस बीमारी को हराकर बाहर निकलता है, तो वो अपने जीवन का एक नया अध्याय शुरू करता है। लेकिन इसके साथ ही एक डर भी रहता है—क्या कैंसर दोबारा हो सकता है?
सच यह है कि कुछ मामलों में कैंसर दोबारा हो सकता है, जिसे "रिकरेंस" कहा जाता है। लेकिन अगर सही जीवनशैली अपनाई जाए, नियमित जांच कराई जाए और सावधानी बरती जाए, तो इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
1. डाइट का ध्यान रखें – खाना आपकी दवा है
कैंसर के बाद शरीर को पोषण की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है। एक संतुलित आहार आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है और कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
क्या खाएं:
- ताजे फल और हरी सब्जियाँ
- साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, ओट्स
- हाई-फाइबर फूड्स
- हेल्दी फैट जैसे नट्स, सीड्स और ओलिव ऑयल
क्या न खाएं:
- प्रोसेस्ड फूड्स
- बहुत अधिक चीनी
- रेड मीट और डीप फ्राइड आइटम्स
- अधिक नमक या प्रिज़र्वेटिव्स वाला खाना
2. नियमित व्यायाम – शरीर को चलायमान रखें
कैंसर के बाद शरीर की ताकत कम हो जाती है। लेकिन धीरे-धीरे अगर आप रोज़ाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ करें, तो आपकी ऊर्जा लौट सकती है। व्यायाम न सिर्फ शरीर को फिट रखता है, बल्कि मूड को भी बेहतर बनाता है।
क्या करें:
- रोज़ 30 मिनट की वॉक
- योग, स्ट्रेचिंग या ब्रीदिंग एक्सरसाइज़
- डॉक्टर की सलाह पर हल्की कार्डियो या स्विमिंग
3. तनाव को करें कम – मन को भी चाहिए देखभाल
मानसिक तनाव आपकी सेहत पर बड़ा असर डाल सकता है। लंबे समय तक तनाव रहने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे बीमारी लौटने की आशंका बढ़ सकती है।
तनाव कम करने के उपाय:
- ध्यान (Meditation)
- संगीत सुनना या किताबें पढ़ना
- मनपसंद हॉबी जैसे पेंटिंग, गार्डनिंग
- जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग लेना
4. धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं
कैंसर के बाद भी अगर धूम्रपान या शराब जैसी आदतें बनी रहें, तो रकरेंस का खतरा बढ़ सकता है। इनसे दूरी बनाकर आप अपने शरीर को बेहतर रिकवरी का मौका देते हैं।
5. दवाएं और फॉलो-अप समय पर लें
कई बार डॉक्टर कैंसर के इलाज के बाद भी कुछ दवाएं जारी रखते हैं, जैसे – हॉर्मोन थेरेपी, टारगेटेड थेरेपी या सपोर्टिव ट्रीटमेंट। इन्हें समय पर और नियमित रूप से लेना बहुत ज़रूरी होता है।
साथ ही, हर तय समय पर डॉक्टर से फॉलो-अप कराना, ब्लड टेस्ट या इमेजिंग करवाना जरूरी होता है ताकि किसी भी नए लक्षण को जल्दी पकड़ा जा सके।
6. नींद और रेस्ट – शरीर को दें आराम
कैंसर के बाद थकान बहुत आम है। शरीर को पर्याप्त नींद और आराम देकर आप अपनी रिकवरी को सपोर्ट कर सकते हैं। रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद लेना और दिन में जरूरत के अनुसार ब्रेक लेना ज़रूरी है।
7. संक्रमण से बचाव
कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान या बाद में इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। ऐसे में संक्रमण जल्दी पकड़ सकता है।
- बाहर जाते समय मास्क पहनें
- हाथ धोने की आदत बनाएं
- भीड़-भाड़ से बचें
- बीमार व्यक्ति के संपर्क में न आएं
8. सिग्नल्स को नज़रअंदाज़ न करें
अगर शरीर में कोई नया लक्षण दिख रहा है—जैसे अचानक वजन घटना, भूख में कमी, लगातार थकान, या किसी हिस्से में गांठ—तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। जितना जल्दी किसी बदलाव को पहचाना जाएगा, उतना बेहतर उसका इलाज संभव है।
9. वजन को नियंत्रित रखें
अत्यधिक वजन या मोटापा, कुछ प्रकार के कैंसर के दोबारा लौटने का जोखिम बढ़ा सकता है—जैसे ब्रेस्ट, कोलोन और किडनी कैंसर। इसलिए स्वस्थ वजन बनाए रखना जरूरी है।
कैसे वजन नियंत्रित करें:
- दिनचर्या में फिजिकल एक्टिविटी शामिल करें
- कैलोरी और पोर्शन साइज का ध्यान रखें
- ज़्यादा चीनी, जंक और फैटी फूड से परहेज़ करें
- डायटीशियन से परामर्श लें अगर ज़रूरत हो
10. पारिवारिक सपोर्ट और सोशल कनेक्शन बनाए रखें
कैंसर के बाद अकेलेपन की भावना कई बार मानसिक और शारीरिक रिकवरी को प्रभावित कर सकती है। परिवार, दोस्तों और सपोर्ट ग्रुप्स से जुड़ाव आपको भावनात्मक ताकत देता है।
क्या करें:
- अपने अनुभव दूसरों से साझा करें
- कैंसर सर्वाइवर्स ग्रुप्स का हिस्सा बनें
- अपनों से बात करने में झिझक न रखें
- जरूरत हो तो प्रोफेशनल थैरेपिस्ट की मदद लें
निष्कर्ष: सावधानी और नियमित देखभाल से कैंसर को दोबारा लौटने से रोका जा सकता है
कैंसर के बाद की जिंदगी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन ये एक नई शुरुआत का मौका भी है। सही आदतें, नियमित जांच और पॉजिटिव सोच से आप इस नई ज़िंदगी को स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं।
अगर आप कैंसर से जुड़ी किसी भी जानकारी या इलाज को लेकर परेशान हैं, तो डॉ. पूजा बब्बर से संपर्क करें।
डॉ. पूजा बब्बर, एक अनुभवी और समर्पित मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट हैं, जिन्होंने हज़ारों कैंसर पेशेंट्स को सफल इलाज और संपूर्ण देखभाल के साथ नई ज़िंदगी दी है। उनकी एक्सपर्ट गाइडेंस और इंसानियत भरा दृष्टिकोण उन्हें हर मरीज़ के लिए एक भरोसेमंद साथी बनाता है।
कैंसर को दोबारा न लौटने दें – समय पर सलाह लें, और खुद पर विश्वास रखें।