कैंसर(cancer) एक ऐसा शब्द है जो सुनते ही डर और चिंता पैदा कर देता है। खासकर जब कोई महिला कैंसर से जूझ रही होती है और उसकी उम्र प्रजनन के लिहाज़ से अहम होती है, तो सबसे बड़ा सवाल यही होता है – "क्या मैं कभी माँ बन पाऊँगी?"
कैंसर के इलाज से पहले यह समझना ज़रूरी है कि इसका आपकी प्रजनन क्षमता पर क्या असर पड़ सकता है। डॉक्टर से ईमानदारी से चर्चा करने से आप यह जान पाते हैं कि कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं — जैसे फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन या उपचार के बाद गर्भधारण की संभावनाएं। इससे न सिर्फ भ्रम दूर होते हैं, बल्कि आप खुद को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से बेहतर तरीके से तैयार कर पाते हैं।
हर प्रकार के कैंसर और उनके इलाज से फर्टिलिटी पर असर हो सकता है, लेकिन जब कैंसर सीधे प्रजनन अंगों से जुड़ा हो — जैसे ओवरी, या यूटेरस का कैंसर — तो भविष्य में गर्भधारण की संभावना सबसे ज़्यादा प्रभावित होती है।
आज हम बात करेंगे कि कैंसर का इलाज और प्रेग्नेंसी एक साथ कैसे जुड़ सकते हैं, और क्या यह मुमकिन है कि कैंसर से ठीक होने के बाद भी कोई महिला स्वस्थ रूप से गर्भधारण कर सके।
कैंसर और फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) का संबंध
कैंसर के इलाज, जैसे कि कीमोथेरेपी, रेडिएशन और कुछ सर्जरीज़ का असर महिला की फर्टिलिटी पर हो सकता है। ये इलाज अंडाणुओं को नुकसान पहुँचा सकते हैं या अंडाशय (ovaries) की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।
किन ट्रीटमेंट्स का असर अधिक होता है:
- कीमोथेरेपी: कुछ प्रकार की दवाएं अंडाशय की कोशिकाओं (ovary cells) को नष्ट कर सकती हैं।
- रेडिएशन थेरेपी: अगर यह पेल्विक एरिया में दी जाती है, तो यह अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।
- सर्जरी: कुछ मामलों में, कैंसर की सर्जरी के दौरान अंडाशय या गर्भाशय निकालना पड़ सकता है, जिससे गर्भधारण असंभव हो जाता है।
कैंसर से पहले फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन के विकल्प
जिन महिलाओं को कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले सलाह दी जाती है, वे फर्टिलिटी को संरक्षित (preserve) करने के कुछ तरीके अपना सकती हैं:
- एग फ्रीज़िंग (Egg Freezing): अंडाणुओं को इलाज से पहले निकालकर फ्रीज़ कर लिया जाता है।
- एम्ब्रियो फ्रीज़िंग (Embryo Freezing): यदि महिला शादीशुदा है या पार्टनर के साथ है, तो अंडाणु और शुक्राणु को मिलाकर एम्ब्रियो बना लिया जाता है और फ्रीज़ किया जाता है।
- ओवेरियन टिशू फ्रीज़िंग (Ovarian Tissue Freezing): यह एक उभरती हुई तकनीक है जिसमें अंडाशय के ऊतक को निकालकर संरक्षित किया जाता है।
कैंसर के इलाज के बाद प्रेग्नेंसी: कब और कैसे?
- इलाज खत्म होने के बाद डॉक्टर आमतौर पर कम से कम 6 महीने से 2 साल तक प्रेग्नेंसी से बचने की सलाह देते हैं ताकि शरीर पूरी तरह से ठीक हो जाए।
- अगर फर्टिलिटी सुरक्षित रखी गई हो, तो IVF की मदद से गर्भधारण संभव है।
- कुछ महिलाएं इलाज के बाद भी नैचुरली कंसीव कर सकती हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इलाज का कितना असर उनकी फर्टिलिटी पर हुआ है।
क्या कैंसर से ठीक होने के बाद गर्भधारण सुरक्षित है?
अधिकांश मामलों में हां, अगर महिला पूरी तरह से ठीक हो चुकी है और डॉक्टर उसे हरी झंडी देते हैं, तो गर्भधारण और स्वस्थ डिलीवरी संभव है। प्रेग्नेंसी के दौरान स्पेशल मॉनिटरिंग ज़रूरी होती है, ताकि माँ और बच्चे दोनों की सेहत बनी रहे।
कुछ आम मिथक और उनकी सच्चाई
निष्कर्ष
कैंसर के बाद जीवन रुकता नहीं है – और माँ बनना एक नया अध्याय हो सकता है। सही जानकारी, समय पर फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन, और अनुभवी कैंसर विशेषज्ञ की मदद से कैंसर से जूझने के बाद भी मातृत्व संभव है।
डॉ. पूजा बब्बर, एक अनुभवी कैंसर स्पेशलिस्ट (cancer specialist in Gurgaon) हैं, जिन्होंने कई मरीजों को सफल इलाज और जीवन की नई शुरुआत में मदद की है। उनके मार्गदर्शन में कई महिलाएं न केवल कैंसर से ठीक हुईं, बल्कि उन्होंने माँ बनने का सपना भी पूरा किया।
अगर आप या आपका कोई जानने वाला इस रास्ते से गुजर रहा है, तो उम्मीद ज़रूर रखें – क्योंकि सही समय पर सही फैसला, ज़िंदगी बदल सकता है।