हर साल लाखों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना करती हैं और इसका आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसका मतलब है कि जागरूकता और बचाव उपाय पहले से ज्यादा जरूरी हो गए हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि सही जानकारी और जीवनशैली में छोटे बदलाव इस खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि ब्रेस्ट कैंसर क्या है, इसके जोखिम कारक कौन-कौन से हैं, कैसे सही आहार और नियमित व्यायाम इससे बचाव में मदद करते हैं, स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है और मानसिक स्वास्थ्य का इस प्रक्रिया में क्या रोल है।
ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो स्तन के ऊतकों में शुरू होती है। यह तब होता है जब स्तन की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और नियंत्रण खो देती हैं। यह वृद्धि धीरे-धीरे एक गांठ या ट्यूमर का रूप ले लेती है। सभी गांठें कैंसर वाली नहीं होतीं, लेकिन malignant ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं।
यह समझना जरूरी है कि प्रारंभिक लक्षण जानने से समय पर पहचान संभव है, और यही ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में सफलता की कुंजी है। कुछ आम लक्षण हैं:
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स्तन में गांठ या मोटा हिस्सा
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स्तन के आकार में बदलाव
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त्वचा पर खिंचाव या लालिमा
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निपल से असामान्य तरल का रिसाव
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स्तन या निपल में दर्द या संवेदनशीलता
ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम कारक
जागरूक होना पहला कदम है बचाव का। कई रिसर्च से पता चला है कि कुछ कारणों को नियंत्रित करके ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।
1. अनुवांशिक और जैविक जोखिम
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परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास होने पर जोखिम ज्यादा होता है।
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BRCA1 और BRCA2 जीन में म्यूटेशन वाले लोग अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
2. जीवनशैली से जुड़ा जोखिम
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शराब और तंबाकू का सेवन जोखिम बढ़ा सकता है।
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शारीरिक निष्क्रियता और अस्वास्थ्यकर आहार भी इसका कारण बन सकते हैं।
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मोटापा और overweight होना हार्मोनल बदलावों के कारण खतरे को और बढ़ाता है।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय
बचाव के लिए सबसे असरदार तरीका है — अपनी दिनचर्या में छोटे बदलाव लाना।
1. नियमित रूप से अपनी ब्रेस्ट की जांच करें
हर महीने खुद से ब्रेस्ट का परीक्षण करें। अगर आपको किसी भी तरह की गाँठ, दर्द, सूजन या असामान्य बदलाव महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
2. संतुलित और स्वस्थ आहार अपनाएं
एक अच्छा आहार सिर्फ शरीर को पोषण ही नहीं देता, बल्कि कैंसर जैसे रोगों से लड़ने में भी मदद करता है।
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ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं।
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रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का सेवन कम करें।
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ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मछली, नट्स और बीज शामिल करें।
3. नियमित व्यायाम करें
व्यायाम न केवल वजन नियंत्रण में मदद करता है बल्कि हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।
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सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम गति का व्यायाम करें, जैसे तेज चलना, योग या साइकिल चलाना।
4. शराब और तंबाकू से बचें
शराब और तंबाकू कैंसर का जोखिम बढ़ाते हैं। इसे कम या बंद करने से स्वास्थ्य पर बड़ा असर पड़ता है।
5. वजन नियंत्रित रखें
स्वस्थ वजन बनाए रखना ब्रेस्ट कैंसर से बचाव में अहम है। मेनोपॉज के बाद फैट ऊतक में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे जोखिम और ज्यादा बढ़ जाता है।
6. ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहित करें
स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करता है। अगर संभव हो, तो अपने बच्चे को कम से कम 6 महीने तक स्तनपान जरूर कराएँ।
7. हार्मोनल थेरेपी पर विचार करें
हार्मोनल थेरेपी को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिनमें उच्च जोखिम होता है।
8. तनाव कम करें और खुश रहें
हमारी मानसिक स्थिति का असर हमारी शारीरिक सेहत पर भी पड़ता है। ध्यान, योग, मेडिटेशन और अच्छी नींद को अपनी दिनचर्या में शामिल करें ताकि तनाव कम हो और हार्मोनल बैलेंस बना रहे।
9. नियमित हेल्थ चेकअप कराएँ
40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी और डॉक्टर द्वारा ब्रेस्ट चेकअप करवाना चाहिए। इससे किसी भी समस्या का शुरुआती चरण में पता चल सकता है और सही समय पर इलाज संभव हो सकता है।
स्क्रीनिंग और शुरुआती पहचान
Early detection इस बीमारी के इलाज में सबसे बड़ा हथियार है।
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40 वर्ष की आयु के बाद हर साल मैमोग्राफी करवाएं।
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हर महीने खुद से स्तन की जाँच करें।
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नियमित चिकित्सकीय जाँच कराएं।
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परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास होने पर genetic testing पर विचार करें।
मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य
तनाव का सीधा असर आपके overall health पर पड़ता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बचाव का हिस्सा है।
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तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें।
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जागरूकता समूहों और counselling का सहारा लें।
निष्कर्ष
ब्रेस्ट कैंसर गंभीर लेकिन रोकने योग्य बीमारी है। सही जानकारी, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, समय पर स्क्रीनिंग और स्वस्थ जीवनशैली इस खतरे को काफी हद तक कम कर सकती है। शुरुआती पहचान और सही इलाज आपके जीवन को सुरक्षित बना सकता है। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।
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अपना और अपनों का ख्याल रखें, सतर्क रहें और स्वस्थ जीवन अपनाएँ!