गले में बार-बार बलगम आना लेकिन खांसी न होना?
यह आम लग सकता है, लेकिन इसके पीछे गंभीर कारण भी छिपे हो सकते हैं। आइए जानें इसकी असली वजह और इलाज।
आजकल स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता जरूर बढ़ी है, लेकिन कुछ समस्याएं अब भी लोगों को भ्रमित कर देती हैं।
गले में बार-बार बलगम आना लेकिन खांसी न होना, एक ऐसी परेशानी है जो मामूली लगती है लेकिन अंदर ही अंदर कुछ गंभीर संकेत भी दे सकती है।
अगर आपको ऐसा अनुभव हो रहा है, तो यह ब्लॉग ध्यान से पढ़ें—क्योंकि यह स्थिति छोटी नहीं, समझने योग्य है।
बलगम क्यों बनता है और गले में क्यों जमा होता है?
हमारे शरीर में नाक और गले की दीवारों पर मौजूद म्यूकस ग्रंथियाँ लगातार एक चिकना पदार्थ (बलगम) बनाती हैं।
इसका काम होता है:
-
हवा में मौजूद गंदगी और जीवाणुओं को फ़िल्टर करना
-
नमी बनाए रखना
-
संक्रमण से रक्षा करना
लेकिन जब ये ग्रंथियाँ अत्यधिक सक्रिय हो जाती हैं—जैसे एलर्जी, सर्दी, साइनस या एसिड रिफ्लक्स जैसी स्थितियों में—तब बलगम सामान्य से ज़्यादा बनने लगता है और गले में इकट्ठा होने लगता है।
खासकर जब वह गले की पिछली दीवार से नीचे बहता है, तो इसे पोस्टनासल ड्रिप कहा जाता है।
बिना खांसी के बलगम आने के कारण
1. एलर्जी (Allergy)
धूल, परागकण, धुआं या जानवरों के बाल जैसे एलर्जन शरीर की प्रतिक्रिया को तेज़ करते हैं और म्यूकस का उत्पादन बढ़ा देते हैं।
2. साइनस इंफेक्शन (Sinusitis)
साइनस की सूजन और ब्लॉकेज से बलगम ठीक से बाहर नहीं निकल पाता और गले में जमा हो जाता है।
3. GERD (गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स) और गले में बलगम का संबंध
जब पेट का एसिड खाने की नली तक ऊपर आता है, तो वह गले को चिढ़ाता है और बलगम बनने लगता है।
4. अस्थमा या क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस
इन स्थितियों में वायुमार्ग संकरा हो जाता है, जिससे बलगम बढ़ता है। कभी-कभी खांसी नहीं होती, लेकिन बलगम मौजूद रहता है।
क्या यह कैंसर का संकेत हो सकता है?
यह बात सही है कि बलगम अधिकतर मामूली कारणों से बनता है, लेकिन यदि यह लगातार बना रहता है, और उसमें रक्त के निशान दिखें या उसका रंग बदले (जैसे गाढ़ा पीला या हरा हो), तो यह चिंता की बात हो सकती है।
संभावित गंभीर कारण:
-
फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) – शुरुआती चरणों में ट्यूमर एयरवेज को प्रभावित करता है, जिससे बलगम बनने लगता है
-
टीबी (Tuberculosis) – कभी-कभी बिना खांसी के भी थूक में खून आ सकता है
-
Extrapulmonary TB – जब टीबी फेफड़ों के अलावा कहीं और होती है लेकिन असर श्वसन मार्ग पर पड़ता है
बलगम में खून दिखना कितना गंभीर: जानिए इसके पीछे की वजहें
-
संक्रमण: जैसे ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया
-
फेफड़ों में सूजन या चोट
-
नाक या गले से ब्लीडिंग: हल्की मात्रा में खून थूक में मिल सकता है
-
फेफड़े के नोड्यूल या कैंसर
अगर खून गहरे रंग का, थक्केदार, या बार-बार दिख रहा हो, तो यह नाक का नहीं बल्कि फेफड़ों का स्रोत हो सकता है।
किन लक्षणों पर तुरंत ध्यान देना चाहिए?
-
सीने में भारीपन
-
गले में लगातार बलगम और जलन
-
सांस लेने में तकलीफ
-
थकान, बुखार, वजन कम होना
-
रात में पसीना आना
-
बलगम में बार-बार खून
डॉक्टर से कब मिलें?
इन स्थितियों में डॉक्टरी सलाह लेना आवश्यक है:
-
2-3 दिनों में सुधार न हो
-
बलगम के साथ लगातार खून आ रहा हो
-
सांस लेने में परेशानी या सीने में दर्द हो
-
यदि टीबी या कैंसर का पारिवारिक इतिहास हो
-
पुरानी एलर्जी, अस्थमा या एसिड रिफ्लक्स हो
जांच कैसे की जाती है?
उपचार: कारण के अनुसार इलाज
घरेलू उपाय जो बलगम कम कर सकते हैं
-
गुनगुने पानी से गरारे करें
-
तुलसी और अदरक का काढ़ा पिएं
-
दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं
-
स्टीम इनहेलेशन (भाप) से बलगम ढीला होता है
-
ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें
बचाव के आसान तरीके
-
धूम्रपान और प्रदूषण से बचाव
-
मास्क पहनें खासकर एलर्जी वाले मौसम में
-
साफ-सफाई और हाथ धोने की आदत
-
पौष्टिक आहार और नींद
-
तनाव कम रखें और रेगुलर चेकअप कराएं
निष्कर्ष
बिना खांसी के बलगम आना एक सामान्य लेकिन ध्यान देने योग्य स्थिति है।
अगर यह कुछ दिनों में ठीक नहीं हो रहा, या उसमें खून, बदबू, या भारीपन है—तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
समय पर किया गया निदान और इलाज कई समस्याओं को जड़ से समाप्त कर सकता है।
यदि बलगम में बार-बार खून आ रहा है या कैंसर जैसी किसी गंभीर स्थिति की आशंका है, तो तुरंत विशेषज्ञ से मिलना जरूरी है।
गुड़गांव में डॉ. पूजा बब्बर (Dr. Pooja Babbar) एक अनुभवी और भरोसेमंद मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट हैं, जो फेफड़ों व अन्य कैंसर के इलाज में विशेषज्ञता रखती हैं।
सही निदान और समय पर उपचार के लिए आज ही डॉ. पूजा बब्बर से संपर्क करें।
विशेषज्ञ की सलाह
अगर आपको लंबे समय से यह समस्या है या परिवार में फेफड़ों की बीमारी रही है, तो किसी अनुभवी पल्मोनोलॉजिस्ट या ENT विशेषज्ञ से संपर्क करना सबसे बेहतर रहेगा।
“स्वस्थ फेफड़े ही स्वस्थ जीवन की नींव होते हैं।
फेफड़ों की बीमारियां जैसे कैंसर या टीबी में समय पर निदान बेहद जरूरी होता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि फेफड़ा खराब होने के बाद एक व्यक्ति कितने समय तक जीवित रह सकता है, तो यह जानकारीपूर्ण लेख ज़रूर पढ़ें - फेफड़ा खराब होने पर कितना दिन तक जीवित रह सकता है आदमी?